Saturday, April 17, 2010

चाँद ज़मीन पर उतर आया है!

जब से तुमको देखा है,
ऐसा लगता है जैसे चाँद ज़मीन पर उतर आया है!
रोक ना पाया इस दिल को,
क्या कोई अपने इस दिल को बहला पाया है!
क्या मेरे इस
दिल के दर्द को कोई आजतक समझ पाया है?

तुमने मेरे इस दिल को बहुत तडपाया है,
बहुत कोशिश की इस दिल को बहलाने की,
क्यों कि आजतक इस प्यार को कोई समझ नहीं पाया है!
इस तरह तुमने नज़रे घुमाके हमे देखा है,
ऐसा लगता है जैसे चाँद ज़मीन पर उतर आया है!

पहले रात के शामियाने में मै आकेला रहता था,
आज उन्हें उसी चांदनी में सजा हुआ पाता हूँ,
और इस तरह दिल से एक आवाज़ निकलती है,
कि मेरा चाँद ज़मीन पर उतर आया है!

मैंने हिम्मत करी उन्हें मनाने की,
पर उनमे हिम्मत थी इसे ठुकराने की,
मेरी हिमाकत को उन्होंने रुसवा कर दिया,
जैसे मेरे सपनो ने मुझे रुसवा कर दिया!

हिम्मत नहीं हारी मैंने क्यूंकि उनका मुखड़ा दिल मै बसाया है,
फिर हिमाकत करूँगा उन्हें मनाने की,
क्यों कि बहुत चाह है मुझे उन्हें अपना बनाने की!
या खुदा मदद करना मेरी,
क्यूंकि मेरा चाँद ज़मीन पर उतर आया है!

मेरे इस
दिल के इज़हार को
उल्फतो ने दिल का दर्द बना दिया,
फिर क्यों मुझे शक हो रहा है की क्या
वाकई मेरा चाँद ज़मीन पर उतर आया है?