Sunday, October 10, 2010

प्यार का पहला ख़त

आज भी तुम्हारे वो ख़त है मेरे पास,
आज भी वो पल कैद है मेरे पास,
जब भीगे थे हम दोनों उस तेज़ बारिश मे,
जब छोड़ गयी थी तुम मुझे बेकरारी मे
उस ख़त पर अब आसुओं के निशान है
आख के रास्ते इस दिल के बहते है
आज भी रखे है संभाल का मैंने वो चूडियो के टुकड़े
आज भी रखी है वो कानो की बाली संभालकर
जो टूट गयी थी तेरे नाज़ुक हाथो की नजाकत से
जो अटककर रह गयी थी बालों मे मेरे हिफाज़त से
जब रोई थी तुम मेरे कंधे पर सर रखकर
रह गयी थी फिजा तेरी जुल्फों से........................
हिफाज़त से रखा है तुम्हारा वो रुमाल मैंने
दिल से लगाकर....

To be continued.....